सौरव गांगुली-जय शाह के भविष्य का फैसला 21 जुलाई तक टला, 'कूलिंग ऑफ पीरियड' का नियम बदलवाने सर्वोच्च अदालत गया था बोर्ड

बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह का कार्यकाल सितंबर 2022 में समाप्त हो रहा है। बोर्ड चाहता है कि दोनो पदाधिकारी अपने पद पर बने रहें। इसके लिए बीसीसीआई के संविधान में संशोधन करना होगा जिसके लिए सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी जरूरी है।

By शिवेंद्र राय | Published: July 20, 2022 05:40 PM2022-07-20T17:40:59+5:302022-07-20T17:43:04+5:30

Tenure Extension of Sourav Ganguly Jay Shah Supreme Court Adjourns BCCI Plea | सौरव गांगुली-जय शाह के भविष्य का फैसला 21 जुलाई तक टला, 'कूलिंग ऑफ पीरियड' का नियम बदलवाने सर्वोच्च अदालत गया था बोर्ड

बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह (फाइल फोटो)

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Highlights'कूलिंग ऑफ पीरियड' अवधि से संबंधित नियमों में छूट चाहता है बीसीसीआईगांगुली और जय शाह का का कार्यकाल सितंबर 2022 में खत्म हो रहा हैबोर्ड द्वारा यह याचिका 2020 में ही दायर की गई थी

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के संविधान में संशोधन वाली एक याचिका पर सुनवाई 21 जुलाई तक के लिए टाल दी है। बीसीसीआई द्वारा दायर की गई याचिका बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह से संबंधित थी। दरअसल बोर्ड, अध्यक्ष, सचिव और अन्य पदाधिकारियों के लिए 'कूलिंग ऑफ पीरियड' अवधि से जुड़े नियमों बदलाव करना चाहता है। इसके लिए बीसीसीआई ने सर्वोच्च न्यायालय का दरावाजा खटखटाया था। याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एन. वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने की। मामले पर सुनवाई को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल  बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली का प्रशासनिक करियर 2014 में बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन (CAB) में सचिव के रूप में शुरू हुआ। आखिरकार, वह बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन अध्यक्ष बने। बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने से पहले उन्हें 2019 में इस पद के लिए फिर से चुना गया था। जय शाह 2013 से गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारी थे। सौरव गांगुली का बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में और जय शाह बीसीसीआई सचिव के रूप में कार्यकाल सितंबर 2022 में समाप्त होने वाले हैं।

बोर्ड के नियमों के अनुसार  बीसीसीआई या राज्य क्रिकेट निकाय में पदाधिकारी रहे किसी भी व्यक्ति को छह साल के कार्यकाल के बाद तीन साल के लिए "कूलिंग ऑफ पीरियड" से गुजरना पड़ता है। ऐसे में अगर बीसीसीआई के संविधान में संशोधन नहीं होता है तो गांगुली और जय शाह को अपना पद छोड़ना पड़ सकता है। इतना ही नहीं दोनो किसी राज्य क्रिकेट संघ के पदाधिकारी भी नहीं बन सकते। 

जस्टिस आरएम लोढ़ा समिति ने देश में क्रिकेट प्रशासन में सुधार के लिए 'कूलिंग ऑफ पीरियड' के रूप में एक बड़ी सिफारिश की। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2018 के फैसले में कहा था कि "क्रिकेटिंग कुलीन वर्गों के बिना खेल बेहतर होगा"। अब असर बोर्ड को संविधान में बदलाव करना है तो उसे सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी लेनी ही होगी। इस मामले में 21 जुलाई को होने वाली सुनवाई पर सबकी निगाहे टिकी होंगी।

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