ब्लॉग: पश्चिम बंगाल के चुनावों में हिंसा चिंताजनक
By अवधेश कुमार | Published: July 13, 2023 02:00 PM2023-07-13T14:00:52+5:302023-07-13T14:03:12+5:30
वास्तव में पश्चिम बंगाल का पंचायत चुनाव भयानक हिंसा के कारण ही सुर्खियों में रहा. हालांकि इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं. बंगाल का हर चुनाव भयानक हिंसा के कारण ही हमेशा चर्चा में रहता है.
पश्चिम बंगालपंचायत चुनाव में मतदान के दिन 22 लोगों का चुनावी हिंसा की भेंट चढ़ जाना, सैकड़ों का घायल होना तथा अनेक बूथों का लूटा जाना बताता है कि प्रदेश किस डरावनी अवस्था में फंसा हुआ है. चुनाव की घोषणा से परिणाम आने तक लगभग 42 लोग हिंसा में जान गंवा चुके हैं.
कोलकाता उच्च न्यायालय ने पंचायत चुनाव के दो दिन पहले दो महत्वपूर्ण आदेश दिए थे. पहला, उच्च न्यायालय ने प्रदेश पुलिस को 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा में घर छोड़कर पलायन कर गए आमाता क्षेत्र के 57 परिवारों को पंचायत चुनाव से पहले उनके घर लौटने की व्यवस्था करने का आदेश दिया.
दूसरे में न्यायालय ने निर्देश दिया कि पंचायत चुनाव के परिणामों की घोषणा के बाद 10 दिनों तक केंद्रीय बलों को बंगाल में रखा जाना चाहिए ताकि निर्वाचित प्रतिनिधियों और आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. इन दोनों आदेशों का अर्थ किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है. ध्यान रखिए, जिन परिवारों की वापसी संबंधी आदेश न्यायालय ने दिया वे माकपा समर्थक बताए गए हैं. उनकी ओर से न्यायालय में मतदान करने के लिए घर वापसी कराने की याचिका डाली गई थी.
वाममोर्चा का आरोप है कि ये सारे लोग तृणमूल कांग्रेस के डर से गांव छोड़कर भागे थे. उच्च न्यायालय ने पुलिस को इनके लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था करने और आवश्यकता पड़ी तो गांव में पुलिस पिकेट बिठाने का भी आदेश दिया.
आप कल्पना कर सकते हैं कि न्यायालय की दृष्टि में वर्तमान तृणमूल कांग्रेस की सत्ता के अंदर राजनीतिक विरोधियों के सामने कैसी भयावह स्थितियां हैं. देश में आम धारणा यही बनाई गई कि वहां तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच ही हिंसा होती है.
भाजपा आरोप लगाती है तो देश में उसके विरोधियों के द्वारा यह मान लिया जाता है कि जानबूझकर तृणमूल कांग्रेस को बदनाम कर रही है. सच यह है कि वहां भाजपा के साथ संघ, वामपंथी पार्टियों और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के विरुद्ध तृणमूल कांग्रेस द्वारा हिंसा की लगातार घटनाएं हुई हैं.
वास्तव में पश्चिम बंगाल का पंचायत चुनाव भयानक हिंसा के कारण ही सुर्खियों में रहा. हालांकि इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं. बंगाल का हर चुनाव भयानक हिंसा के कारण ही हमेशा चर्चा में रहता है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ही उच्च न्यायालय ने चुनाव कराने के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों की नियुक्ति का आदेश दिया था.
न्यायालय का स्पष्ट मानना था कि जब तक केंद्रीय बलों की नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक चुनाव आयोजित नहीं किया जा सकता है. लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित और स्वयं को लोकतांत्रिक मानने वाली सरकार के विरुद्ध इससे तीखी टिप्पणी कुछ नहीं हो सकती थी.