मनोज तिवारी और रवि किशन के बाद दिनेश लाल यादव निरहुआ बने सांसद, 'भोजपुरी समाज' के लिए करेंगे काम

By संदीप दाहिमा | Published: June 27, 2022 09:37 PM2022-06-27T21:37:15+5:302022-06-27T21:52:49+5:30

Next

आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) का मजबूत किला ध्वस्त करने वाले मशहूर भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव ऐसे तीसरे भोजपुरी सुपरस्टार हैं, जिन्होंने लोकसभा का सफर सफलतापूर्वक तय किया। उनकी इस कामयाबी में 'भोजपुरी समाज' का भी खासा योगदान माना जा रहा है। भोजपुरी सिनेमा जगत में 'निरहुआ' के नाम से मशहूर यादव मनोज तिवारी और रवि किशन के बाद ऐसे तीसरे भोजपुरी कलाकार हैं जो लोकसभा चुनाव जीते हैं।

इत्तेफाक से ये तीनों ही भाजपा के सांसद हैं। मनोज तिवारी उत्तर—पूर्व दिल्ली से, रवि किशन गोरखपुर से जबकि निरहुआ आजमगढ़ से सांसद हैं। तीनों ने वर्ष 2012 में बनी सुपरहिट फिल्म 'गंगा, जमुना, सरस्वती' में एक साथ काम भी किया है।

आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में निरहुआ की जीत की खासी चर्चा इसलिये भी हो रही है क्योंकि उन्होंने सपा का मजबूत किला ध्वस्त करते हुए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की छोड़ी हुई सीट पर कब्जा किया है। इस जीत में 'भोजपुरी समाज' का भी खासा योगदान माना जा रहा है। भोजपुरी फिल्म कलाकार और गोरखपुर से सांसद रवि किशन ने सोमवार को कहा कि निरहुआ की जीत में 'भोजपुरी समाज' का भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। देश भर में फैले करीब 25 करोड़ लोगों के इस समाज में हिन्दू, मुस्लिम और अन्य तबके के लोग भी शामिल हैं।

ये समाज अब राजनीति में बढ़—चढ़कर हिस्सा लेता है। उन्होंने बताया कि भोजपुरी समाज के लोग भोजपुरी कलाकारों पर विश्वास जताते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि वे कलाकार गरीब परिवारों से निकले हैं और उन्होंने अपने जीवन में वे परेशानियां सहन की हैं, जो आज भी समाज को अपनी गिरफ्त में लिये हुए हैं। पूर्व में, राजनेताओं द्वारा भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में मतदाताओं को लुभाने के लिये भोजपुरी कलाकारों का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब कलाकार खुद मैदान में उतर रहे हैं। इस बारे में रवि किशन ने कहा ''मैं इसके लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देना चाहूंगा।

उन्होंने इस बात को समझा कि भोजपुरी अभिनेता सीधे तौर पर समाज से जुड़ते हैं। वे जमीन से उठकर आये हैं और वे कभी गलत राह पर नहीं जाएंगे। दूसरी पार्टियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, जबकि भाजपा आपको कभी त्यागती नहीं है।'' राजनीतिक जानकार परवेज अहमद के मुताबिक भोजपुरी कलाकारों पर दांव लगाने का एक बड़ा कारण यह भी है कि देश के विभिन्न हिस्सों में भोजपुरी भाषियों की अच्छी—खासी तादाद है और अपने प्रतिनिधि के तौर पर वे भाषायी सिनेमा जगत के कलाकारों के रूप में मिलने वाले विकल्प को अपनी पहली पसंद बना रहे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि निरहुआ को उपचुनाव में इस समाज का पूरा साथ मिला। उन्होंने कहा कि हालांकि भोजपुरी अभिनेताओं की कामयाबी के और भी कई कारण हो सकते हैं।

जैसे कि स्थानीय राजनीतिक समीकरण और पार्टी की सियासी हैसियत इत्यादि। गाजीपुर जिले के मूल निवासी दिनेश लाल यादव ने 'बिरहा' विधा के गायक के तौर पर अपने सफर की शुरुआत की थी। भोजपुरी फिल्म जगत में धूम मचाने के बाद निरहुआ ने साथ ही साथ राजनीति में भी किस्मत आजमाने का फैसला किया और मार्च 2019 में लोकसभा चुनाव से ऐन पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गये। पार्टी ने भोजपुरी सिनेमा के गढ़ यानी पूर्वांचल में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें आजमगढ़ सीट से टिकट दे दिया। हालांकि उस वक्त आजमगढ़ में निरहुआ का मुकाबला सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से था और उन्हें उनके हाथों करारी पराजय मिली लेकिन लगभग तीन साल बाद अखिलेश के विधानसभा के लिये चुने जाने के बाद उनके इस्तीफे से खाली हुई आजमगढ़ सीट के उपचुनाव में निरहुआ ने सपा का किला ढहाते हुए जीत दर्ज की।

निरहुआ के फिल्मी सफर पर नजर डालें तो उन्होंने एक गायक के तौर पर शुरुआत की थी और वर्ष 2003 में रिलीज हुआ उनका पहला म्यूजिक अलबम 'निरहुआ सटल रहे' सुपरहिट रहा। अभिनेता के रूप में उनकी पहली फिल्म वर्ष 2006 में आयी 'हमका ऐसा वैसा ना समझा' थी। 'निरहुआ रिक्शा वाला' (2008) फिल्म की जबर्दस्त सफलता के बाद उनका उपनाम 'निरहुआ' ही पड़ गया। निरहुआ अपने लगभग 19 साल के फिल्मी सफर में एक दर्जन से ज्यादा हिट फिल्में दे चुके हैं। राजनीति के मैदान में वह कैसा प्रदर्शन करेंगे, यह तो वक्त ही बताएगा।