त्रिपुरा विधानसभा चुनाव 2023ः भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन और कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन में टक्कर, ‘किंगमेकर’ की भूमिका में ‘टिपरा मोथा!’, जानें कब है मतदान और मतगणना

By सतीश कुमार सिंह | Published: February 6, 2023 01:42 PM2023-02-06T13:42:50+5:302023-02-06T13:44:28+5:30

Tripura Assembly Election 2023: त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में नवगठित राजनीतिक दल ‘टिपरा मोथा’ के ‘किंगमेकर’ (सरकार गठन में अहम भूमिका निभाने वाली पार्टी) के रूप में उभरने की संभावना है।

Tripura Assembly Election 2023 BJP-IPFT alliance Congress-Left Front alliance clash Tipra Motha role 'Kingmaker' know voting and counting votes triangular contest | त्रिपुरा विधानसभा चुनाव 2023ः भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन और कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन में टक्कर, ‘किंगमेकर’ की भूमिका में ‘टिपरा मोथा!’, जानें कब है मतदान और मतगणना

गृह मंत्री अमित शाह कई बार राज्य में चुनावी रैली को संबोधित कर चुके हैं।

Highlightsमुकाबला भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन एवं कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन के साथ होगा।चुनाव बाद गठबंधन किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया। गृह मंत्री अमित शाह कई बार राज्य में चुनावी रैली को संबोधित कर चुके हैं।

अगरतलाः पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव अंतिम दौर में है। 2018 में भाजपा ने वाम मोर्चा सरकार को पहली बार हराकर सरकार बनाई थी। 2023 में मुकाबला रोचक है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कई बार राज्य में चुनावी रैली को संबोधित कर चुके हैं। शाह के अलावा कई अन्य मंत्री भी राज्य की दौरा कर रहे हैं। 

त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 16 फरवरी को मतदान होगा। मतगणना दो मार्च को होगी। नवगठित राजनीतिक दल टिपरा मोथा के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के बाद किंगमेकर के रूप में उभरने की संभावना है। भाजपा-आईपीएफटी और कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन के साथ त्रिकोणीय मुकाबला कर रहे हैं।

त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव से पहले टिपरा मोथा ने अपना चुनावी घोषणापत्र जारी कर दिया है, जिसमें ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ के लिए लड़ाई के वादे के साथ जनजातीय परिषद के लिए पुलिस बल, 20,000 नयी नौकरियां और आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों के लिए एकमुश्त पैकेज की घोषणा की गई है।

टिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत देबबर्मा ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जनजातीय परिषद क्षेत्र में रहने वाले गैर जनजातीय लोगों को जबरन नहीं हटाया जाएगा और मूल जनजातियों के सभी ‘समाजपतियों’’ को हर महीने 25,000 रुपये दिए जाएंगे।

त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद

उन्होंने कहा, ‘‘टिपरा मोथा त्रिपुरा के मूल लोगों के वास्ते एक स्थायी संवैधानिक समाधान की मूल वैचारिक मांग को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और जब तक इसे हासिल नहीं किया जाता, हम अपने लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।’’ चुनावी घोषणापत्र में इसके प्रशासन के तहत पुलिस बल के लिए त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (अीटीएएडीसी) पुलिस विधेयक का प्रस्ताव दिया गया है।

करीब 6,000 युवाओं की इसके तहत भर्ती की जाएगी। देबबर्मा ने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो जमीन का मालिकाना हक उन लोगों को दिया जाएगा जिन्हें अब तक यह अधिकार नहीं मिला है। उन्होंने समुदाय के विकास के लिए एक ‘मणिपुरी कल्याण बोर्ड’ की स्थापना का भी वादा किया।

कुल 60 सदस्यीय विधानसभा वाले पूर्वोत्तर राज्य में ये सीटें बहुत अहम होंगी

टिपरा मोथा ने त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के लिए 2021 में हुए चुनावों में शानदार प्रदर्शन कर निकाय की 30 में से 18 सीट हासिल की थीं। टिपरा मोथा ने विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है और उसे 20 जनजातीय बहुल सीट पर जीत की उम्मीद है। कुल 60 सदस्यीय विधानसभा वाले पूर्वोत्तर राज्य में ये सीटें बहुत अहम होंगी।

सत्तारूढ़ भाजपा ने 55 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है और अपनी सहयोगी आईपीएफटी के लिए मात्र पांच सीट छोड़ी हैं। गठबंधन सहयोगी गोमती जिले की अम्पीनगर विधानसभा सीट पर दोस्ताना चुनावी जंग लड़ेंगे, क्योंकि 16 फरवरी को होने वाले चुनावों में आईपीएफटी कुल छह निर्वाचन क्षेत्रों में भाग्य आजमाएगी।

गठबंधन सहयोगी को आठ सीट पर जीत मिली थी

भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने 2018 के विधानसभा चुनावों में वाम मोर्चे के 25 साल लंबे शासन को समाप्त कर दिया था। भाजपा ने 10 एसटी (अनुसूचित जनजाति) आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों सहित 36 सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि इसके गठबंधन सहयोगी को आठ सीट पर जीत मिली थी।

बहरहाल, राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, आईपीएफटी ने टिपरालैंड राज्य की अपनी मूल मांग को पूरा करने में विफल रहने के कारण आमजन का समर्थन खोना शुरू कर दिया है। पर्यवेक्षकों का मानना है कि टिपरा मोथा की लोकप्रियता न केवल इसलिए बढ़ी, क्योंकि उसने अलग राज्य की मांग उठाई, बल्कि इसलिए भी बढ़ी, क्योंकि जनजातीय समुदाय के लोग तत्कालीन शाही परिवार का अब भी सम्मान करते हैं और वे प्रद्योत देबबर्मा को ‘बुबागरा’ या राजा कहकर संबोधित करते हैं।

अभी तक किसी भी समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया गया है

उनका कहना है कि पूर्वोत्तर राज्य के सभी राजनीतिक दल-भाजपा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस ने चुनावी समझौते के लिए देबबर्मा से संपर्क किया था, लेकिन ग्रेटर टिपरालैंड पर टिपरा मोथा के कड़े रुख के कारण अभी तक किसी भी समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।

माकपा के जनजातीय क्षेत्रों में अब भी वफादार समर्थक हैं

भाजपा नेता और चुनावी रणनीतिकार बलई गोस्वामी ने कहा कि त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति में भाजपा के पास टिपरा मोथा और कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन के मुकाबले बढ़त होगी, क्योंकि भाजपा विरोधी वोट उनके बीच विभाजित हो जाएंगे। वहीं, माकपा के वरिष्ठ नेता पबित्रा कार ने कहा कि टिपरा मोथा और भाजपा के बीच लड़ाई से कांग्रेस-वाम गठबंधन को फायदा होने की उम्मीद है, क्योंकि भाजपा के सहयोगी आईपीएफटी ने पहाड़ियों में अपनी ताकत खो दी है, लेकिन माकपा के जनजातीय क्षेत्रों में अब भी वफादार समर्थक हैं।

तृणमूल कांग्रेस 28 सीट पर किस्मत आजमाएगी

टिपरा मोथा के प्रवक्ता एंथनी देबबर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी कम से कम 25-26 सीटें जीतकर ‘किंगमेकर’ बनकर उभरेगी। त्रिपुरा विधानसभा के लिए मतदान 16 फरवरी को होगा और मतगणना दो मार्च को की जाएगी। माकपा अकेले 43 सीट पर चुनाव लड़ेगी, जबकि वाम मोर्चा के अन्य घटक-फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी और भाकपा, एक-एक सीट पर उम्मीदवार खड़े करेंगे।

वाममोर्चा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने 13 सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं। टिपरा मोथा ने 42 सीट पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। तृणमूल कांग्रेस 28 सीट पर किस्मत आजमाएगी, जबकि 58 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं।

 

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