डीआरडीओ की सफेद दाग की हर्बल दवा की मांग बढ़ी : एमिल हेल्थकेयर

By भाषा | Published: September 16, 2021 06:56 PM2021-09-16T18:56:37+5:302021-09-16T18:56:37+5:30

DRDO's demand for herbal medicine for white spots increased : Emil Healthcare | डीआरडीओ की सफेद दाग की हर्बल दवा की मांग बढ़ी : एमिल हेल्थकेयर

डीआरडीओ की सफेद दाग की हर्बल दवा की मांग बढ़ी : एमिल हेल्थकेयर

(संपादकीय सुधार के साथ)

नयी दिल्ली, 16 सितंबर सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा) से ग्रस्त कई लोग अब इसके उपचार के लिये ल्यूकोस्किन जैसी हर्बल दवाओं का रुख कर रहे हैं जिसे केंद्र सरकार के प्रमुख शोध संस्थान रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है।

एमिल के शोध संस्थान एमिल हैल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर (एएचआरसी) की प्रमुख डॉक्टर नीतिका कोहली ने कहा कि अब तक इस समस्या से जूझ रहे एक लाख से ज्यादा मरीजों का उपचार ल्यूकोस्किन से किया गया और औसत सफलता दर 70 प्रतिशत रही है।

एमिल हेल्थकेयर इस हर्बल औषधि के उत्पादन व विपणन का काम कर रही है।

आयुर्वेद विशेषज्ञ कोहली ने कहा कि डीआरडीओ द्वारा प्रौद्योगिकी स्थानांतरण के बाद इंसानों पर इसके परीक्षण किए गए और 2011 में यह दवा बाजार में उतारी गई।

उन्होंने कहा, “इन 10 सालों में इस दवा से एक लाख से ज्यादा मरीजों का उपचार किया गया। हमनें पाया कि इसकी सफलता दर 70 प्रतिशत है।”

वास्तव में, एमिल दवा का एक उन्नत संस्करण लाने की प्रक्रिया में है और डीआरडीओ पहले से ही इस दिशा में काम कर रहा है।

कोहली ल्यूकोस्किन के साथ-साथ एमिल हेल्थकेयर के शुरू होने के 10 साल पूरे होने पर ‘जटिल त्वचा रोगों के नैदानिक प्रबंधन’ पर एक डिजिटल सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं।

एलोपैथी सहित विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों के प्रतिनिधियों और चिकित्सकों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया और ल्यूकोडर्मा के उपचार में सामान्य रूप से जड़ी-बूटियों व विशेष रूप से ल्यूकोस्किन की भूमिका पर प्रकाश डाला।

दुनियाभर में एक से दो प्रतिशत आबादी में ल्यूकोडर्मा के मामले पाए जाते हैं। विशेषज्ञों ने हालांकि स्पष्ट किया कि ल्यूकोडर्मा न तो संक्रामक है और न ही जानलेवा।

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Web Title: DRDO's demand for herbal medicine for white spots increased : Emil Healthcare

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